गढ़वा
बुधवार को पूर्व निर्धारित समयानुसार आयोजित "कॉफी विथ एसडीएम" कार्यक्रम की पांचवीं कड़ी में गढ़वा क्षेत्र के थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के परिजनों के साथ अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने संवाद किया। इस सप्ताह तकनीकी प्रकृति का विषय होने के कारण कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित एक्सपर्ट के रूप में गढ़वा जिले के सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डा. हरेन चंद्र महतो, अस्पताल प्रबंधक विकास केसरी तथा डीपीएम भी मौजूद रहे।
एसडीओ संजय कुमार के आमंत्रण पर अनुमंडल कार्यालय स्थित सभागार में आहूत इस विशेष कार्यक्रम में 41 ऐसे अभिभावक पहुंचे हुए थे जिनमें से किसी का एक बच्चा तथा कुछ के दो या तीन बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित हैं। कल 50 बच्चों के अभिभावकों ने अपनी अपनी समस्याएं रखते हुए जिले में रक्त कोष प्रबंधन को लेकर अपने कई अहम सुझाव दिए।
ब्लड बैंक के काउंसलर के व्यवहार को लेकर मिलीं शिकायतें
बैठक में मौजूद लगभग सभी अभिभावकों ने सदर अस्पताल के ब्लड बैंक के काउंसलर के व्यवहार की शिकायत की। सभी का आरोप था कि ब्लड बैंक काउंसलर कभी ढंग से बात नहीं करते हैं और न ही रक्त कोष की उपलब्धता की सही-सही जानकारी देते हैं। इस पर अनुमंडल पदाधिकारी ने बैठक में मौजूद सिविल सर्जन तथा उपाधीक्षक से आवश्यक कार्रवाई करने को कहा।
अभिभावकों की समस्याओं को सुनने के क्रम में सिविल सर्जन ने जानकारी दी कि ब्लड बैंक में किसी दिन किस ब्लड ग्रुप की कितनी उपलब्धता है इसे ऑनलाइन देखा जा सकता है, इस पर अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि गांव देहात के आये लोगों के सूचनार्थ हर समय रक्त उपलब्धता की करेंट जानकारी ब्लड बैंक के बाहर ब्लड ग्रुप के अनुरूप एक सारणी में भी प्रदर्शित करवायें।
बच्चों को खून उपलब्ध कराने की प्रक्रिया बनाएं सरल
अभिभावकों से संवाद के क्रम में जो सुझाव मिले उसके आलोक में संजय कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों से कहा कि वे थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को त्वरित रूप से रक्त उपलब्ध कराने हेतु प्रक्रिया को थोड़ा सरल करें। अभी दूर-दराज से परेशान अभिभावक बार-बार रक्त के लिए अस्पताल आते हैं, उन्हें सिविल सर्जन तथा उपाधीक्षक से हस्ताक्षर कराने समेत कई औपचारिकतायें पूरी करने के उपरांत ही रक्त कोष में अधियाचना करनी होती है, ऐसे में कई बार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों को खून मिलने में बहुत विलंब हो जाता है, जबकि बच्चों की स्थिति पहले से ही बहुत गंभीर और दयनीय होती है। इसलिए रक्त अधियाचना की प्रक्रिया को अपेक्षाकृत सरलीकृत करने के लिए सिविल सर्जन तथा उपाधीक्षक से आवश्यक पहल करने हेतु कहा गया।
उक्त संवाद के दौरान ही सिविल सर्जन तथा उपाधीक्षक ने अनुमंडल पदाधिकारी तथा बच्चों के परिजनों के बीच जानकारी दी कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर स्वास्थ्य सेवायें मिल सकें, इसको लेकर सदर अस्पताल थैलेसीमिया डे केयर सेंटर तथा थैलेसीमिया कार्ड जैसी पहल शीघ्र करेगा।
थैलेसीमिया से जुड़े सरकारी राहत कार्यक्रमों की दी गई जानकारी
संवाद के दौरान चिकित्सा पदाधिकारी ने पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को थैलेसीमिया से जुड़े विभिन्न तकनीकी पहलुओं और सरकारी राहत कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सिविल सर्जन ने बताया कि सभी लोग अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में गोल्डन कार्ड के लिए जरूर अप्लाई कर दें, इस योजना में 5 लाख से लेकर 20 लाख तक की सहायता का प्रावधान है।
राशन कार्ड आदि जैसी निजी समस्याओं को भी सुना गया
रिजवाना खातून, शशि कुमार दुबे, संजय राम, शीला देवी, जुबेर अंसारी, हुसेना खातून आदि अभिभावकों ने बताया कि काफी प्रयासों के बाद भी उनके बच्चों का नाम राशन कार्ड में नहीं जुड़ पा रहा है जिस कारण वे बच्चों को सरकारी राहत कार्यक्रम से नहीं जोड़ पा रहे हैं। इसी प्रकार कुछ अभिभावकों ने अन्य निजी समस्यायों को रखा। सभी को एसडीओ की तरफ से आश्वस्त किया गया कि वे आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
जिले के रक्तदाताओं से की गई अपील
कार्यक्रम में मौजूद अभिभावकों तथा पदाधिकारियों ने जिले के रक्तदाताओं का आभार प्रकट करते हुए उनसे भविष्य में भी रक्तदान के रूप में इसी प्रकार अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते रहने हेतु अपील की।
संजय कुमार ने कहा कि गढ़वा के स्वैच्छिक रक्तदाता एवं कई गैर सरकारी संस्थाएं रक्तदान को लेकर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, वे चाहें तो कम से कम एक-एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को रक्त उपलब्ध करवाने हेतु गोद ले सकते हैं।
अभिभावकों की आपबीती से भावुक हुए पदाधिकारी
संवाद के क्रम में कई अभिभावकों ने अपनी पीड़ा को भी बयां किया। गढ़वा के बघमार निवासी कुलदीप पाल ने बताया कि थैलेसीमिया से उनकी छह संतानों का निधन हो चुका है, अब एक मात्र सातवीं संतान के रूप में बेटी है जो खुद भी थैलेसीमिया से पीड़ित है, वे इसे खोना नहीं चाहते हैं। वहीं एक अभिभावक शीला देवी ने बताया कि उनके दोनों बच्चे थैलेसीमिया से ग्रसित हैं जबकि उनके पति शराब पीते हैं, ऐसे में उनका जीवन बहुत कष्टकारी हो गया है। अभिभावकों की ऐसी पीड़ा सुनकर कुछ देर के लिए माहौल बड़ा गमगीन हो गया।